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लेखनी कहानी -02-Jan-2023 गधे और घोड़े

गधे और घोड़े 

(यह हास्य व्यंग्य IAS और राज्य स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों के संबंधों पर लिखा गया है । डाइरेक्ट IAS को अरबी नस्ल का घोड़ा और राज्य प्रशासनिक अधिकारियों को गधा संबोधित किया गया है)

गधों में बड़ी बेचैनी थी । रह रहकर पैर पटक रहे थे । कभी पूंछ फटकार रहे थे तो कभी फुंफकार रहे थे । इधर से उधर चक्कर काट रहे थे । एक दूसरे को देखकर उत्तेजित हो रहे थे । इतने आक्रोश में कभी देखा नहीं था उनको । लेकिन आज तो ऐसा लग रहा था कि जैसे खूंटा उखाड़ कर भाग ही जाएंगे । 

सबकी बेचैनी देखकर गधों का सरदार झबरा बोला " मैं आप सबकी परेशानी समझ सकता हूं ।सारा काम हम लोग ही करते हैं । इस घर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ आखिर हम ही तो हैं । ये कुम्हार करता ही क्या है ? सारा काम तो हम लोग तैयार कर इन्हें देते हैं और ये तो बस , राज करता है राज । और ये घोड़े ? इन्होंने तो हद ही कर रखी है । ये अपने मालिक की चमचागिरी में दिन रात मस्त रहते हैं और साल के आखिरी दिन इनाम के रूप में अपना प्रमोशन पा लेते हैं । खुद तो समयबद्ध प्रमोशन ले लेते हैं मगर हमारे प्रमोशन में रोड़े अटकाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं । हमारे बारे में तो सोचने में भी जोर आता है इनको । कमाल है ना कि हम लोग ही इनके हाथ - पांव , आंख - कान हैं और ये घोड़े दिन रात हमको ही "क्रश" करने में लगे रहते हैं " । झबरा की आंखों से चिंगारियां निकलने लगीं ।

एक युवा और बहुत जोशीला गधा "बहादुर" बोला " बहुत हो गया इनका नाटक । अब और नाटक नहीं देख सकते हैं । या तो ये हमारी मांगे पूरी करें या फिर ये गद्दी छोड़ें। दोनों में से एक काम तो करें । इससे कम में नहीं मानेंगे हम " ? उसके मुंह से झाग निकलने लगे । 

जोशीले बहादुर की बातों से सभी गधों में जोश‌ भर गया । सबकी भुजाएं फड़कने लगी । सबने बहादुर की बात का समर्थन किया और जोर जोर से नारा लगाने लगे ।

"हमारी मांगे पूरी करो । हमारी मांगे पूरी करो " 

गगनचुंबी नारों से आसमान गूंज उठा। घोड़ों में भी खलबली मच गई । कुम्हार ने घोड़ों के मुखिया मुख्य घोड़े को बुलवाया और पूछा " ये सब क्या हो रहा है ? गधे इतना शोर क्यों मचा रहे हैं ? इनको "दाना पानी" नहीं मिल रहा है क्या ? जरा जाकर पता करो " 

मुख्य घोड़े ने अपने विश्वस्त घोड़े लगा दिए जो खुफिया जानकारी एकत्रित करने लगे । दरअसल घोड़ों में भी दो प्रजातियां थीं । एक तो अरबी नस्ल के घोड़े जो अपने आपको सर्वश्रेष्ठ समझते थे । वे यही मानते थे कि "असल" घोड़े तो वही हैं और वे पैदा ही सत्ता सुख भोगने के लिए हैं । बहुत एकता है इन अरबी घोड़ों में । मजाल है कि कोई इनकी ओर आंख उठाकर भी देख ले । आंख ही नहीं फोड़ देते उसकी , नाक कान काटकर नकटा बूचा बनाकर छोड़ देते हैं ये । ऐसी गत देखकर फिर किसी और गधे की हिम्मत ही नहीं होती है जो इनके खिलाफ आवाज उठायें । 

दूसरे प्रकार के घोड़े हैं जो देसी नस्ल के हैं । वस्तुत: ये होते गधे ही हैं या गधे जैसे होते हैं लेकिन कुम्हार ने इनमें से कुछ गधों को घोड़ा "घोषित" कर दिया है । बस तब से ही ये गधे इस बात से खुश हैं कि वे घोड़े बन गये हैंऔर घोड़ों की प्रजाति में शामिल हो गए हैं । दरअसल ये कन्वर्टेड गधे अपने आपको अरबी नस्ल का घोड़ा समझने लगे हैं लेकिन अरबी नस्ल वाले घोड़े इनको गधा या गधे जैसा ही मानते हैं । 
अब इन देसी घोड़ों के लिए बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है । ये न घर के रहे न घाट के । घोड़ा बनने के चक्कर में न गधे रहे और न अरबी नस्ल वाले घोड़े बन पाये । अरबी नस्ल वाले घोड़े बड़े स्पेशल होते हैं । कुम्हार पर उनका पूरा नियंत्रण है । इन अरबी घोड़ों की सलाह से ही कुम्हार सारा काम करता है, राजपाट चलाता है । अरबी नस्ल के घोड़ों के व्यवहार से ये देसी नस्ल वाले घोड़े बहुत दुखी हैं और दिन रात इनको गाली देते रहते हैं लेकिन गधे से घोड़े बनने का शौक अभी चरम पर है और हर गधा घोड़ा बनना चाहता है । इसके लिए वह अरबी नस्ल वाले घोड़ों की गुलामी तक करता है, उनके तलवे भी चाटता है । घोड़ा बनने के लिए ये गधे कुम्हार के पांव भी पड़ते हैं मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात वाला निकलता है । कुछ गधे ही घोड़े बन पाते हैं बाकी तो गधे ही रह जाते हैं । 

एक दिन एक जाना माना अरबी नस्ल का घोड़ा चोरी चोरी " दाना पानी" करते पकड़ा गया । बस , सारे अरबी घोड़े एक हो गए और कुम्हार पर प्रैशर बनाकर उसे छुड़वा लिया लेकिन जब एक दिन एक देसी नस्ल के घोड़े पर किसी ने इल्जाम लगा दिया कि इसने चोरी से "दाना पानी" खाया है तो यही अरबी नस्ल वाले घोड़े उसे दंड देने के लिए कुम्हार पर प्रैशर बनाते दिखे । गजब का दोगलापन है इन अरबी घोड़ों में । अपने लिए कुछ और नियम बनाते हैं दूसरों के लिए कुछ और । और कुम्हार भी ऐसा निर्दयी है कि देसी घोड़ों की जमकर मौज लेता है । अरबी घोड़ों का तो वह कुछ बिगाड़ नहीं पाता इसलिए देसी घोड़ों के कान उमेठ कर ही खुश हो लेता है । अरबी घोड़े तो उसकी आंखों के तारे हैं । 
इसी प्रकार ये देसी घोड़े भी अजीब किस्म के होते हैं । इनको और कोई तो घास डालता नहीं है विशेषकर अरबी घोड़े, इसलिए ये देसी घोड़े गधों पर ही रौब झाड़ते रहते हैं । कभी कभी तो अरबी घोड़ों से भी ज्यादा खतरनाक साबित हुए हैं ये देसी घोड़े "गधों" के लिए । बेचारे गधे । पैदा ही मार खाने के लिए हुए हैं । लेकिन जब ये देसी घोड़ों से मार खाते हैं तो इनके दिल में बहुत चोट लगती है । अपना ही बड़ा भाई जब मारता है तो चोट की पीड़ा से ज्यादा अपमान की पीड़ा महसूस होती है । तड़प कर रह जाते हैं बेचारे । 

मुख्य घोड़े ने मालूम करवाया कि गधों की मांग क्या है तो ज्ञात हुआ कि जो दूसरे पशु हैं उनमें से कुछ को घोड़ा बनाने को लेकर इन गधों में आक्रोश है । गधों का कहना है कि केवल गधों में से ही प्रोमोशन किया जाकर घोड़े बनाए जाने चाहिए । अरबी घोड़े इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं । उनका कहना है कि सबको समान अवसर मिलने चाहिए । जब ये नये नये घोड़े "अरब" से आते हैं तो इनको वहीं पर अच्छी तरह से पढ़ाया जाता है कि इनको क्या करना है और क्या नहीं । गधों पर अंकुश लगाने के लिए ये अरबी घोड़े दूसरे जानवर जैसे उल्लू , लोमड़ी , भैंस आदि में से कुछ को जो इनके "पक्के चमचे" होते हैं, घोड़ा घोषित कर देते हैं इससे गधे घोड़े नहीं बन पाते हैं । और इस प्रकार अरबी घोड़ों द्वारा इन गधों को आईना दिखा दिया जाता है । गधों की सारी चापलूसी धरी की धरी रह जाती है । चैक एंड बैलेंस का अद्भुत तरीका अपनाते हैं ये अरबी घोड़े । 

इस बार गधों ने "अन्य पशुओं में से चमचों को घोड़ा घोषित करने " की प्रक्रिया को रोकने की मांग कर दी है । पर कुम्हार और अरबी घोड़े तो पूरे घाघ हैं , आसानी से कहां मानते हैं । गधों में से ही कुछ गधों को "गाजर" दिखाकर तोड़ लेते हैं । गधे भी तो गधे हैं । जहां भी "मलाई" देखते हैं वहीं पर "लार" टपकाते नजर आ जाते हैं । कुम्हार और अरबी घोड़े इनके इसी लालच का फायदा उठाकर उन पर अत्याचार करते हैं । पर "कुम्हार के अस्तबल में " गधों को कौन पूछता है ? पूछ तो केवल अरबी घोड़ों की ही होती है । 
देखते हैं कि ये गधे कब तक विरोध करते हैं । हो सकता है कि एक दिन वे अपने मकसद में कामयाब हो ही जाएं । अभी तो गधों पर चौतरफा आक्रमण हो रहा है । जिसे देखो , वही लात मारकर चला जाता है । गरीब की जोरू की तरह दिख रहे हैं ये गधे । दिन पर दिन हालत खराब हो रही है इनकी पर इन्हें कोई परवाह ही नहीं है , बस घास चरने में व्यस्त हैं ये । काश , इनके भी अच्छे दिन आ जायें तो ये भी चैन की सांस ले लें । 

हरिशंकर गोयल "हरि"
2.1.21

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4 Comments

Varsha_Upadhyay

03-Jan-2023 07:40 PM

शानदार

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Abhilasha deshpande

03-Jan-2023 05:58 AM

Osm

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Sachin dev

02-Jan-2023 06:32 PM

Amazing

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